Friday, December 15, 2023

योगासन अभ्यास शुरू करने से पहले  


वर्तमान समय में योगासनों का महत्व हम सब जान चुके है। नियमित योगासन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है ये मेरा भी मानना है। इस ब्लॉग में योगाभ्यास के बारे में कुछ टिप्स देते हुए कुछ गलत धारणाएँ दूर करने का प्रयास किया गया हैं। 

योगाभ्यास शुरू करने से पहले जरूरी सूचनाए - 


१] अगर योगासन पहली बार करने है तो ऑफलाइन फॉरमॅट मतलब योग प्रशिक्षक के सामने ही करें।  योगाभ्यास की बारीकियाँ समझना बहुत आवश्यक है और ये प्रत्यक्ष योगवर्ग मे जाने से ही संभव है। 

२] योगासन प्रैक्टिस हर किसी के लिए आवश्यक है परंतु व्यक्तिगत मर्यादा समझना भी जरूरी है। हर व्यक्ति की क्षमता, मांसपेशियों का लचीलापन अलग होता है। इस वजह से हर एक योगासन हर किसी के लिए आसान नहीं होता है। इस वजह से सहनशक्ति अनुसार योगासन करें। 

३] शुरुवात में योगासन सिर्फ १० से १५ सेकंड के लिए स्थिर रखना तथा पूरा अभ्यास केवल १० से १५ मिनिट करना ही संभव होगा। परंतु नियमित अभ्यास से सहनशक्ति बढ़ जाएगी।  

४] योगाभ्यास करते समय आसनस्थिति के जितना ही सांस और शरीर पे ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल से सभी गुरुजनों ने इसका महत्व बताया है। 

५] योगासन करते समय जोड़ों का सम्पूर्ण संचलन होता है। इसे ध्यान मे रखते हुए आरामदायक कपड़े पहने। 

६] योगासन करते समय पेट खाली रखें ताकि किसीभी स्थिति लेने मे कठिनाई न हो। योगासन सुबह करने है तो अभ्यास से पूर्व आधे से एक घंटा एक छोटा केला, १-२ खजूर इत्यादि खा सकते है। इस से जरूरी कॅलरीज भी मिल जाएंगी और पेट भी नहीं भरेगा। 

७] योगाभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें ताकि कौनसी स्थितियाँ वर्जित है ये पता चल जाएगा। 


अब योगाभ्यास से जुड़ी कुछ गलत धारणाए दूर करते हैं।  


१] योगासन करने से कभी हानी नहीं पहुचती हैं। - अपनी क्षमता से ज्यादा किया गया कौनसा भी व्यायाम शरीर को चोट पहुँचा सकता हैं। इस में योगासन भी शामिल हैं। इस लिए धीरे धीरे, ध्यान से अभ्यास बढ़ाना जरूरी हैं।  

२] योगासन मतलब बहुत आसान और सौम्य व्यायाम - योगाभ्यास , जलद गति से, जोर से संगीत के साथ करने का व्यायाम नहीं हैं। परंतु योगासन करना भी चुनौतीपूर्ण होता हैं। इस मे शरीर के साथ मन और सांस स्थिर रखने का आव्हान होता हैं। शरीर को अपरिचित आसान स्थिति बनाये रखने के लिए प्रयास करना पड़ता हैं। 

३] मेरा शरीर लचीला नहीं हैं इस लिए मैं योगासन नहीं कर सकती/सकता - बहुत से सुलभ योगासन शुरुवात में किये जा सकते हैं।  उनके नियमित अभ्यास के बाद धीरे धीरे कठिन आसन किये जा सकते हैं।   

४] मेरी योगासन स्थिति गाइड पुस्तक या वीडियो या टीचर जितनी अच्छी नहीं दिखती। क्या मेरा अभ्यास मुझे फायदा दे रहा हैं? - हमारी योगासन स्थिति निजी क्षमता, अभ्यास एवम आयुनुसार होगी। इसलिए प्रयास करने को ही ज्यादा महत्व देना चाहिए। शरीर को जरूर लाभ होगा। 


 इसलिए योगासन योग्य व्यक्ति से सिखकर अपना एक अभ्यासक्रम तय कर लेना चाहिए और नियमित योगाभ्यास करना चाहिए। शरीर की दृढ़ता तथा लचीलापन बढ़ाने के लिए योगासन अत्याधिक महत्वपूर्ण है।  Repetitive stress injuries (मतलब एक ही क्रिया बारबार करने से निर्माण होनेवाली चोटें उदाहरणार्थ computer पर ज्यादा काम करने से होनेवाली चोटें), तथा खिलाड़ियों को सक्त ट्रैनिंग की वजह से पहुचनेवाली हानी कम करने के लिए भी योगासन उपयुक्त है। बढ़ती आयु की वजह से होनेवाली शरीर की कमजोरी कम करने के लिए योगाभ्यास जरूरी है। मानसिक स्थैर्य और शांतता पाने के लिए भी योगाभ्यास अत्यंत उपयोगी हैं। 


तो आप सभी को Exercise करते रहने के लिए शुभकामनाएं।  मेरा कानमंत्र ध्यान मे रखिए।  

थोड़ा ही सही लेकिन नियमित व्यायाम बहुत आवश्यक हैं!



Saturday, August 12, 2023

 डाएट करें या व्यायाम? 


वजन कम करते समय हमारे मन मे हमेशा ये प्रश्न होता है की डाएट को ज्यादा महत्व दे या एक्सर्साइज़ को? हमे ऐसा उपाय चाहिए होता है जो निश्चित रूप से वजन कम करे और भविष्य मे भी कम रखे। दिनभर की दौडभाग मे किस चीज को कितना महत्व दे ये तय करना आवश्यक हो जाता है। आज इस ब्लॉग मे इसी प्रश्न का उत्तर ढूंढते है की आहार ज्यादा महत्वपूर्ण है या व्यायाम? 


इस प्रश्न का उत्तर इतना सरल और आसान नहीं है! सर्व प्रथम हमारा शरीर कॅलरीज कैसे खर्च करता है, ये देखते है। मान लीजिए की हम दिन भर मे १०० कॅलरीज खर्च करते है। आप को जानकर आश्चर्य होगा के इस में से ७०% से अधिक कॅलरीज केवल शरीर को चलाने के लिए, जीवित रखने के लिए खर्च होतीं है। अतिरिक्त १० से १५% कॅलरीज खाना खाने और पचाने मे खर्च होतीं है। बची हुई १५ से २०% कॅलरीज बाकी गतिविधियों के लिए खर्च होती है। जिस मे नहाना वगैरा निजी काम और व्यायाम शामिल है। ये सारी कॅलरीज आती है हमारी डाएट से चाहे किसी भी काम के लिए खर्च हो। आहार से मिलनेवाली कॅलरीज उसी दिन उपयोग मे लायी जाती है या फिर शरीर मे चर्बी के रूप मे इकठ्ठा हो जाती है और आवश्यकतानुसार उपयोग मे लायी जाती है। 

अब हम आहार और व्यायाम का वैट लॉस मे क्या योगदान है ये समझ सकते है। हमने देखा की दिनभर के कॅलरीज खर्च मे से ७०%  से ज्यादा हिस्सा शरीर की अत्यावश्यक प्रक्रिया करने मे ही खर्च हो जाती है। इसीलिए हमारा हर दिन का आहार ही समतोल और पौष्टिक होना जरूरी है। संतुलित और पौष्टिक आहार हवा और पानी के जितना ही जरूरी है। योग्य व्यायाम बुरे आहार की कमी को पूरा नहीं कर सकता। समतोल और पौष्टिक आहार हमारे स्वास्थ्य की नीव है। इसलिए वो हमारी हरदिन की जीवनशैली बन जानी चाहिए। लेकिन जब हम वजन कम करना चाहते है तब जितनी कॅलरीज खा रहे है उससे ज्यादा खर्च करनी पड़ती है। इसलिए आहार से पोषण और संतुष्टि मिलनी चाहिए लेकिन उसमे निकृष्ट और अनावश्यक कॅलरीज नहीं होनी चाहिए। हर एक व्यक्ति का संतुलित और पौष्टिक आहार निजी जीवनशैली अनुसार अलग अलग हो सकता है। 



अब हम जानते है की शरीर का हर दिन होनेवाला अत्यावश्यक ७० से ८०% कॅलरी खर्चा हमारे बस मे नहीं है। ये खर्चा हमारी आयु, प्रकृति, शारीरिक रचना, जींस, लिंग इन पे निर्भर होता है। परंतु ऊपरी व्यायाम और ऐक्टिविटी हमारे हाथ मे है। नियमित रूप से हर दिन किया गया थोडासा व्यायाम भी एक हफ्ते या महीने मे काफी कॅलरीज खर्च करता है। अच्छे आहार के तरह ये नियमित व्यायाम भी हर व्यक्ति के हिसाब से बदलेगा। 

संक्षेप मे वजन घटाने के लिए डाएट और व्यायाम दोनों जरूरी है। 


दोनों मे अगर अंतर है तो frequency का। हमे उनके बारे मे कितनी बार सोचना पड़ता है इसका। हमे आहार के बारे मे दिन मे ४ से ५ बार सोचना पड़ता है और योग्य निर्णय लेना पड़ता है। इसके विरुद्ध हफ्ते मे ३ से ४ बार किया गया व्यायाम भी वैट लॉस मे मदद कर सकता है। दोनों मे संतुलन बनाने से वैट लॉस आरोग्यपूर्ण होगा। अर्थात शरीर स्वास्थ्य को हानी पहुचाए बिना होगा। अच्छे आहार से चर्बी कम होगी, मांसपेशियाँ बढ़ेंगी और शरीर की सारी प्रक्रियाओं के लिए कॅलरीज मिलेंगी। अच्छे व्यायाम से शरीर से चर्बी घटेगी, मांसपेशियाँ बढ़ेंगी, ताकद और स्टामिना भी बढ़ेगा और शरीर का आकार भी सुधर जाएगा। 


वैट लॉस के दोनों पहलूँ के लिए सब से महत्वपूर्ण है नियमित होना!


तो आप सभी को Exercise करते रहने के लिए शुभकामनाएं।  मेरा कानमंत्र ध्यान मे रखिए।  

थोड़ा ही सही लेकिन नियमित व्यायाम बहुत आवश्यक हैं!




Sunday, June 4, 2023

वैट ट्रैनिंग का अर्थ क्या है?


वेट ट्रेनिंग अथवा रेसिस्टन्स ट्रेनिंग का मतलब है ऐसा वजन उठाना जो उठाने के लिए हमे थोड़ा कष्ट करना पड़े। अर्थात ऐसे व्यायाम प्रकार जिनमे हमारी मांसपेशियों को जोर लगाना पड़े या फिर किसी वजन के विरुद्ध जोर लगाना पड़े। जैसे कोई dumbell उठाते समय या अपनाही वजन उठाकर पुश अप करते समय हमे कष्ट होते है, क्यूकी हमारी मांसपेशियों को किसी वजन का विरोध होता है और उसे जोर लगाकर उठाना पड़ता है। 

दुनिया मे अधिकांश लोग स्वाभाविक रूप से वैट ट्रैनिंग करते है। किसान, मजदूरी करनेवाले लोग हर दिन वैट ट्रैनिंग करते है। इस वर्ग की महिलाए भी हर दिन वैट ट्रैनिंग करती है फरक सिर्फ इतना है की वो वजन dumbell की तरह नहीं दिखता। परंतु आधुनिक जीवनशैली मे शारीरिक कष्ट बहुत कम हो गए है। बहुत लोगों की जीवनशैली sedentary हो गई है जिस मे शारीरिक गतिविधि बहुत कम हो गई है। ऐसे सभी लोगों को जान बूझ के निश्चयपूर्वक वैट ट्रैनिंग करने की जरूरत है। ये स्त्री, पुरुष तथा उम्र मे वरिष्ठ सभीं के लिए आवश्यक है। 

कुछ लोगों के मन मे वैट ट्रैनिंग के प्रति एक डर रहता है क्यूकी वो इसका संबंध पहिलवानी से जोड़ते है जो बहुत ही भारी वजन उठाते है। इस कारण, वैट ट्रैनिंग सिर्फ बॉडी बिल्डर्स एवं खिलाड़ियों के साथ जोड़ दिया जाता है। परंतु हम सभी को हमारी हड्डियाँ तथा मांसपेशिया स्वस्थ रखना जरूरी है। कुछ महिलाओं के मन मे ये भी डर रहता है की वैट ट्रैनिंग करने के बाद उनका शरीर बॉडी बिल्डर्स जैसा दिखने लगेगा। लेकिन ये ध्यान रखना बहुत जरूरी है की तंदुरुस्त शरीर के लिए मांसपेशियों की ताकद और स्टामिना बहुत महत्वपूर्ण है। तभी हमारे दैनंदिन काम हम बिना थके, आसानी से कर सकते है। 

हम सभी की ताकद और स्टामिना उम्र के साथ कम होती है। sedentary जीवनशैली से मांसपेशियाँ तथा हड्डीया और भी कमजोर हो जाती है। धीरे धीरे हर दिन के काम भी मुश्किल लगने लगते हैऔर शरीर मे जगह जगह दर्द या पीड़ा शुरू हो जाती है। 

पहले वेट ट्रेनिंग अथवा रेसिस्टन्स ट्रेनिंग का मतलब समझ लेते है। जब हम अपनी क्षमता से भारी वजन उठाते है, धकेलते या खींचते है; जो हमे मुश्किल लगता है उसी को वेट ट्रेनिंग या रेसिस्टन्स ट्रेनिंग कहते है। जब हम वैट ट्रैनिंग नियमित रूप से करते है, तब हमारी मांसपेशियों को, हड्डियों को मजबूत और लचीला बनने का संदेश मिलता है। इस के अलावा जोड़ों के आजूबाजू होनेवाले tendons और ligaments भी मजबूत बन जाते है। Tendons और ligaments तार जैसे अवयव होते है जो हड्डीयों और मांसपेशियों को एकसाथ पकड़ के रखते है। 

अब वैट ट्रैनिंग करने के अलग अलग पर्याय देखते है। पारंपरिक साधन जैसे dumbell, barbell, मुदगल इत्यादि वैट ट्रैनिंग के साधन है। इस के अलावा वेट ट्रेनिंग मशीन्स, फिटनेस बॉल, टयूब्स , केटल बेल इत्यादि साधन भी उपयोग मे लाए जा सकते है। हमारे अपने शरीर का वजन भी रीज़िस्टन्स बन सकता है, उदाहरण के तौर पर squats , planks इ.। योगासन अभ्यास मे भी रेसिस्टन्स का परिणाम होता है। ये सभी पर्याय और साधन कुछ महीनों या सालों के बाद बदल बदल के उपयोग मे लाए जा सकते है। इस से शरीर के लिए नियमित आव्हान बना रहेगा और नियमित सुधार आते रहेगा। 




अपनी फिटनेस रूटीन मे सप्ताह मे २ से ३ बार वैट ट्रैनिंग जरूर शामिल करे। उससे हड्डीया मजबूत होंगी, उनमे calcium तथा अन्य धातुओं की मात्रा बढ़ेंगी, osteoporosis जैसी बीमारिया दूर रहेंगी और मांसपेशिया भी तंग और मजबूत रहेंगी। इस के अलावा वजन काम होने के साथ शरीर का आकार भी सुधार जाएगा। लचीले और सुददृढ शरीर के लिए नियमित वैट/रेसिस्टन्स ट्रेनिंग अत्यावश्यक है। 

तो आप सभी Exercise करते रहिए और मेरा कानमंत्र याद रखिए, 

थोड़ा ही सही लेकिन नियमित व्यायाम बहुत आवश्यक हैं!


AT A GLANCE






Thursday, April 27, 2023

 परिपूर्ण फिटनेस के ५ पहलू। 


क्या आप व्यायाम मे केवल चलना, केवल योगासन या फिर केवल weight training कर रहे है ? इस तरह के workout से fitness के कुछ ही पहलुओ में सुधार होगा और परिपूर्ण फिटनेस नहीं मिलेगा। अगर हमे सम्पूर्ण fitness कमाना है तो ट्रैनिंग मे कुछ अन्य पहलू भी शामिल करने पड़ेंगे। सर्वांगीण fitness के लिए ५ घटक जरूरी होते है। एक मुद्दा यहां स्पष्ट कर दू की इस blog में, मैं केवल स्वास्थ से संबंधित फ़िटनेस की चर्चा करूंगी। 

स्वास्थ से संबंधित फिटनेस से क्या मतलब हुआ ? क्या शारीरिक फिटनेस के अलग अलग प्रकार होते है? क्या  हम सभीं को व्यायाम कर के स्वास्थ और तंदुरुस्ती की ही अपेक्षा नहीं होती? ये बिल्कुल सच है की हम सभी को स्वास्थ और शरीर का अच्छा आकार कमाना होता है। परंतु कौनसा व्यायाम और कितनी मात्रा में करना है ये हमारी निजी जरूरतों पे निर्भर रहेगा। उदाहरण के लिए एक खिलाड़ी को अपना performance सुधारने के लिए बहुत ज्यादा  intensity का व्यायाम करना पड़ेगा। उनका व्यायाम साधारण व्यक्ति के मुकाबले मे बहुत ज्यादा होगा और उसमे बाकी कई सारे घटक होंगे जैसे की muscle power , संतुलन, चपलता इत्यादि। परंतु हम साधारण व्यक्ति स्वास्थ्य के लिए, शरीर निरोगी रखने के साथ वजन नियंत्रण मे रखने के लिए व्यायाम करते है। हमारा दैनंदिन जीवन उत्साह से बिना थके जीना हमारा ध्येय होता है। इसी लिए हमारा व्यायाम खिलाड़ियों की तुलना में अलग हो जाता है। 

अब स्वास्थ्य से संबंधित Fitness  के ५ घटक समझ लेते है। 

१] दमसांस (Cardiovascular Endurance)- 


 हमारे ह्रदय, फेफड़े तथा रक्तवाहन संस्था की; काम करने वाले muscles को रक्त पहुचाने की क्षमता को दमसांस कहेंगे। अगर हमारी मासपेशियां ज्यादा काम करने लगे तो ज्यादा रक्त उन तक पहुचना चाहिए। इसी को हम stamina कहते है। इस घटक को सुधारने के लिए हम चलना, दौड़ना, नृत्य, तैरना इस तरह के व्यायाम प्रकार कर सकते है। 

 



२] मासपेशियों की ताकत  (muscular strength) - 

हमारी एक मासपेशी ज्यादा से ज्यादा कितना वजन उठा सकती है उस पर मासपेशी की ताकद तय की जाती है। अर्थात जो मासपेशी ज्यादा जोर लगा सकती है वो ज्यादा ताकतवर होगी।  मासपेशियों की ताकद बढ़ने से हमारी हड्डियां ज्यादा मजबूत होंगी, शरीर का आकार सुधर जाएगा और आवश्यक जगहों से आकार भी कम हो जाएगा। fitness के इस पहलू को सुधारने के लिए हम वजन उठाना, योगासन जैसे व्यायाम कर सकते है। 




३] मासपेशियों की काम करते रहने की क्षमता (muscular endurance) - 


मासपेशियों की आकुंचन शिथिलीकरण करने की क्षमता ही काम करते रहने की क्षमता (endurance) होती है। Muscular endurance मतलब मासपेशियों की बिना थके काम करते रहने की क्षमता। ये भी एक तरह का stamina है। इस क्षमता के बढ़ने से शरीर मे थकान की भावना कम होती है। इस घटक को सुधारने के लिए हमे नियमित weight training तथा योगासन करना चाहिए। 





४] लचीलापन (flexibility)- 



शरीर मे लचीलापन होना मतलब शरीर के सारे जोड़ों का पूरा संचलन कर पाना। जोड़ों मे पूरी range  of  motion होना मतलब अच्छी flexibility होना है। दैनंदिन काम करते हुए हमारी मासपेशियां और जोड़ योग्य मात्रा मे सिकुड़ने और ढीले पड़ने की आवश्यकता होती है। शरीर मे चोट ना लगे, मासपेशियों मे cramps ना आए इसलिए भी अच्छी flexibility होना जरूरी है। इसलिए नियमित योगासन एवं stretching किए जा सकते है। 






५] शारीरिक संरचना  (Body Composition)- 


अच्छी शारीरिक संरचना मतलब शरीर में  चरबी और मांसपेशियों का संतुलित प्रमाण।  
शरीर में lean  body  mass मतलब हड्डियां, मांसपेशियां और अन्य अवयव ज्यादा मात्रा में होने के साथ ही चरबी कम मात्रा मे होनी चाहिए। इस तरह से संरचना में सुधार आने के बाद शरीर प्रमाणबद्ध दिखने लगता है और हृदय रोग की आशंका भी कम हो जाती है। ऊपर लिखें  गये सभीं पहलूंओं को workout मे शामिल कर के, योग्य आहार ले के हम शरीर में चरबी का प्रमाण कम रख सकते हैं। 






अपने workout में तरह तरह के व्यायाम mix  and  match  कर के हम फिटनेस के सारे पहलूओं में सुधार ला  सकते हैं। अगर आप अपने आप ही व्यायाम करना चाहते है तो किसी प्रशिक्षित trainer की सलाह लें। अपनी जरूरत हिसाब से एक workout plan बनवा लें और उसे अच्छी तरह से समझ लें। जरूरत के अनुसार कुछ हफ्तों या महीनों बाद उसे बदल लें। फिटनेस के सारे पहलूओं पे काम करने से; स्वास्थ को प्राथमिकता मिल जाती है और केवल वजन घटाने या बढ़ाने को महत्व नहीं दिया जाता। एक सुदृढ़ और उत्साह से भरपूर शरीर कमाने के लिए इन पाचों घटकों पे, हर हफ्ते काम करना पड़ेगा चाहे आप की कोई भी उम्र हो! क्यूंकी हमे हर दिन के काम मे इन पहलूंओं की जरूरत पड़ती है। 

ब्लॉग को विराम देने से पहले जो लोग नियमित व्यायाम कर रहें हें उनका अभिनंदन करना चाहूंगी। किसी भी प्रकार का नियमित व्यायाम करनेवालों का अभिनंदन! चाहें आप अभी नियमित व्यायाम कर रहे हो या ना हो, आप सभी से अनुरोध हैं की इस blog को ध्यान से पढ़िये, अपने workout  में योग्य बदलाव कीजिए और exercise करते राहिए। 

मेरा कानमंत्र याद रखिए, 

थोड़ा ही सही लेकिन नियमित व्यायाम बहुत आवश्यक हैं!


सारांश 











योगासन अभ्यास शुरू करने से पहले     वर्तमान समय में योगासनों का महत्व हम सब जान चुके है। नियमित योगासन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है य...